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पत्रकारों की आवाज़ दबाने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त – यूपी पुलिस को DGP स्तर पर नोटिस” l

नई दिल्ली / उत्तर प्रदेश। पत्रकारों को दबाने और उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराने की प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है। “पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराओ और लिखना बंद कराओ” गैंग की कार्यशैली को कोर्ट ने आड़े हाथों लेते हुए उत्तर प्रदेश के DGP को नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है कि किसी पत्रकार द्वारा सिर्फ स्टोरी लिखने पर उस पर धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज कैसे कर दिया गया? कोर्ट का यह रुख न केवल प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, बल्कि कानून के दुरुपयोग के खिलाफ भी एक मजबूत संदेश है।

इस मामले में पत्रकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पक्ष रखा। वहीं, राज्य सरकार की ओर से मौजूद सरकारी अधिवक्ता ने मामला दबाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया।

कोर्ट की सख्ती के बाद अब उत्तर प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर जवाबदेही तय हो सकती है।

मामले के मुख्य बिंदु:

पत्रकार के खिलाफ स्टोरी लिखने पर IPC की धारा 420 में मुकदमा.

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जताई और DGP को नोटिस जारी किया.

पत्रकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने रखा पक्ष.

राज्य सरकार की तरफ से दबाव डालने की कोशिशें नाकाम.यह मामला प्रेस की आज़ादी और लोकतंत्र में पत्रकारिता की भूमिका को लेकर एक बार फिर से गंभीर विमर्श की ओर संकेत कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती आने वाले समय में ऐसी कोशिशों पर लगाम लगाने में अहम साबित हो सकती है।

पत्रकार पर स्टोरी लिखने के लिए धारा 420 कैसे और क्यों लगाई? स्टोरी करने पर एफआईआर झेल रहीं पत्रकार ममता त्रिपाठी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की अच्छे से क्लास लगाई। सुनवाई के दौरान मुद्दा ये सामने था कि पत्रकार पर स्टोरी लिखने के लिए धारा 420 कैसे और क्यों लगाई गई?

ममता त्रिपाठी की ओर से अपीयर हुए सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे ने बहस के दौरान कहा कि चूंकि मानहानि का मामला संज्ञेय अपराध नहीं है, इसलिए उसे संज्ञेय अपराध बनाने के लिए धारा 420 जोड़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से बेहद कड़े सवाल पूछे और साथ ही सरकार व DGP को नोटिस जारी कर दिया। ममता त्रिपाठी पर सितम्बर 2023 में लखनऊ के हज़रतगंज थाने में FIR हुई थी। पिछले तीन महीने से राज्य सरकार “जवाब दाखिल” करने के नाम पर लगातार कोर्ट से समय ले रही थी।

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