
PTG NEWS| 12 जनवरी 2023,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “योगमय जीवन पद्धति” विषय पर ऑन लाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह करोना काल से 488 वाँ वेबिनार था। मुख्य वक्ता शिक्षाविद द्रोपती तनेजा (82 वर्षीय) ने योग की जीवन पद्धति के बारे में विस्तार से बताते हुए आत्मा पर बल दिया उन्होंने सत्य अहिंसा को अपनाने पर बल दिया,साथ ही प्राणायाम करने और नियमित तौर पर साधना करने को कहा। व्यक्ति को सात्विक जीवन को जीना चाहिए वा आत्म साधना करके चिंतन करना चाहिए। हमारे जो साधन होने चाहिए वह आत्मा के लिए,अपने आप के लिए भी होने चाहिएं।उन्होंने जोर देकर कहा कि अपने रास्ते पर जब हम अपने आप को पहचान लेंगे तो निश्चित तौर पर हम जीवन मुक्त हो जाएंगे तो अवश्य हम मोक्ष के द्वार की ओर आसानी से कदम रख पाएंगे।महापुरुषों की चर्चा करते हुए कहा कि महर्षि दयानंद जी, विरजानंद जी अन्य उदाहरण देते हुए उनके वक्तव्य हमारे समक्ष रखें।अहंकार को त्यागने के लिए हमें योग साधना करना बहुत आवश्यक है जब तक हम अपनी आत्म शुद्धि नहीं करेंगे हम ध्यान और धारणा की स्थिति को नहीं पा सकते उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे किसी व्यक्ति की परिवार में मृत्यु हो जाती है तो जो सबसे प्रिय व्यक्ति होता है वही जिसके बिना एक पल भी नहीं रह सकते उसको घर से श्मशान घाट ले जाने की आहुति देने की जल्दी रहती हैं यथार्थ के कठोर धरातल पर रहकर जीवन जीने की साधना के बारे में जानकारी दी। मुख्य अतिथि अनिता रेलन (प्रबंधक,केनरा बैंक) ने कहा कि जो शरीर है वह नश्वर है साथ ही सत्य को किसी कवच की जरूरत नहीं है क्योंकि वह क्षणिक नहीं है शरीर को सुरक्षा चाहिए, आत्मा को नहीं चाहिए मन को सुरक्षा चाहिए स्वरूप को नहीं चाहिए कुछ कहते हैं मौन रहना आध्यात्मिकता है तो इसके आगे उन्होंने बताया कि आध्यात्मिकता को पाने के लिए धारणा ध्यान समाधि अंतिम तीन अंगों का सामूहिक नाम संयम है समाधि के बाद प्रज्ञा का उदय योग का अंतिम लक्ष्य है। अध्यक्षता करते हुए कुसुम भंडारी ने कहा कि हमें योग मय जीवन पद्धति को अपने जीवन में नियमित रुप से अपनाना होगा। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका प्रवीना ठक्कर, रविंद्र गुप्ता, कौशल्या अरोड़ा,सुदर्शन चौधरी, बिन्दु मदान,रजनी गर्ग, ईश्वर देवी, सरला बजाज आदि के मधुर भजन हुए।