गुड मॉर्निंग न्यूज़टॉप न्यूज़राज्य

जम्मू-कश्मीर में चुनाव की आहट:कश्मीरी पंडितों के लिए सीट रिजर्व, जम्मू में 6 और कश्मीर में एक सीट बढ़ाई गई

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। चुनाव से पहले विधानसभा सीटों का परिसीमन का काम भी पूरा हो चुका है। परिसीमन आयोग ने गुरुवार को एक मीटिंग की और फाइनल रिपोर्ट पर साइन कर दिया। इसमें निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या और उनके आकार का ब्योरा है।

आयोग की सिफारिशों में खास क्या
केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद चुनाव आयोग वोटर लिस्ट तैयार करने की कार्रवाई शुरू कर देगा। जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के अनुसार लोकसभा की पांच सीटों में दो-दो सीटें जम्मू और कश्मीर संभाग में होंगी जबकि एक सीट दोनों के साझा क्षेत्र में होंगी। यानी आधा इलाका जम्मू संभाग का और आधा कश्मीर घाटी का हिस्सा होगा। इसके अलावा दो सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए भी रिजर्व रखी गई हैं। अनंतनाग और जम्मू के राजौरी और पुंछ को मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया है।

आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही पहली बार अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटों को रिजर्व करने कहा है। इनमें से 43 सीटें जम्मू और 47 सीटें कश्मीर में रहेंगी। इसके पहले 83 सीटों में 37 जम्मू और 46 कश्मीर में थीं।

महबूबा बोलीं- परिसीमन सिर्फ BJP का विस्तार

परिसीमन आयोग की बैठक के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा- परिसीमन क्या है? क्या ये अब केवल भाजपा का विस्तार बन गया है? जिसमें अब जनसंख्या के आधार को दरकिनार कर दिया जाता है और केवल उनकी इच्छा पर ये काम करता है। हम इसे सिरे से खारिज करते हैं। हम इस पर भरोसा नहीं करते। यह केवल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से संबंधित है कि कैसे जम्मू-कश्मीर की जनता को कमजोर किया जाए।

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर बना केंद्र शासित प्रदेश
केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करने और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन के बाद परिसीमन आयोग बनाया था। आयोग ने नए मसौदे में कश्मीर संभाग के बारामूला, कुपवाड़ा, श्रीनगर, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में बदलाव किया है। कुपवाड़ा एकमात्र ऐसा जिला है, जिसमें विधानसभा क्षेत्र जोड़ा गया है।

अभी तक कश्मीर संभाग में 46 और जम्मू संभाग में 37 सीटें हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में 24 सीटें हैं जो अभी भी खाली हैं।

रिपोर्ट पर सहयोगी सदस्यों के रूप में पांचों लोकसभा सांसदों डॉ. जितेंद्र सिंह, जुगल किशोर शर्मा, डॉ. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी व अकबर अहमद लोन ने अपनी आपत्तियां व सुझाव 14 फरवरी को दर्ज करा दिए थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
×